जो तुम सुनना चाहते हो
हम भी कहना वही चाहते हैं
बस फ़र्क़ इतना सा है तुम्हारी और
हमारी चाहत में की
तुम इज़हारे बयां चाहते हो और
हम नज़रो की ज़ुबान चाहते हैं
खेल तो मोहब्बत में युहीं चलते हैं
कभी तुम जीत जाते हो तो
कभी हम हार जाते हैं
सीख जाओ गर हुनर तुम समझने का
खामोशियों को तो जान जाओगे
लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं ये मोहब्बत
एक बार देख लो जो नज़र भरकर
सारे मायने दिल में गहरे उतर जाते हैं ।
-सोमाली
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