Sunday 30 October 2022

ज़ुबाँ मोहब्बत की

 जो तुम सुनना चाहते हो 

हम भी कहना वही चाहते हैं 

बस फ़र्क़ इतना सा है तुम्हारी और 

हमारी  चाहत में की 

तुम इज़हारे बयां चाहते हो और 

हम नज़रो की ज़ुबान चाहते हैं 


खेल तो मोहब्बत में युहीं चलते हैं 

कभी तुम जीत जाते हो तो 

कभी हम हार जाते हैं


सीख जाओ गर हुनर तुम समझने का 

खामोशियों को तो जान जाओगे

लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं ये मोहब्बत

एक बार  देख लो जो नज़र भरकर 

सारे मायने दिल में गहरे उतर जाते हैं ।


                                   -सोमाली