उसने कहा कैसे अचानक अँधेरी रात ,बदल गयी दिन में
मैंने कहा एक आशा की किरण, उठी है मेरे ज़हन में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर मेरे हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा एक आशा की किरण, उठी है मेरे ज़हन में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर मेरे हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा देखना ऐ ज़िन्दगी,तेरे इम्तिहानों में तपकर ,
शख्सियत मेरी और निखर जाएगी ……
…सोमाली