Tuesday 8 August 2023

चाहत अनचाही सी

 तुम्ही बताओ अब क्या करूँ मैं?

तुम्हे चाहना कभी मेरी चाहत नही थी

लेकिन अब तुमको भूल जाना भी हसरत नही है।


 तुम्हारे लिए तो मैं कुछ खास नहीं

पर तुम दुनिया बन गए हो मेरी

तुमको तो इसका भी एहसास नहीं है। 


तेरे दो लफ्ज़ भी बेइंतहां खुशी हैं

मेरी इस खामोश सी ज़िन्दगी में

हर पल गुज़रता है बस तेरी बंदगी मे


तुम मेरे न हो गर तो भी गिला नहीं होगा

तुम साथ रहो यही है बहुत  मेरे लिए

तुमसा साथी भी तो सबको मिला नहीं होगा।


मोहब्बतों की मंज़िल हमेशा पाना ही नहीं है

अगर सफर ही खूबसूरत हो इतना 

तो मंज़िल तक मुझे जाना ही नही है।

                    

 तुम नहीं तुम्हारी खुशी ही मेरा सबब है

सदा मुस्कराती रहे ज़िन्दगी तुम्हारी

बस यही मेरी ज़िंदगी का मकसद है 


तुम मुझे चाहो ही ये इल्तज़ा नहीं है

पर भूल जाओ मुझे किसी अजनबी की तरह

इसमें भी तो मेरी रज़ा नहीं है।


चलो फिर यूँ करते हैं,

हम तुमको युहीं चाहते रहें 

तुम अपनी ख्वाहिशों में खुश रहो 

 और हम युहीं बेमतलब साथ निभाते रहें।

                                 -सोमाली