रो ले इस रात के वीराने में जितना भी तुझे रोना है
सहला ले जख्मो को अपने लेट कर इस खामोश रात की गोद में
भिगोले आंसुओं से अपने ,रात के दामन को जितना भिगोना है
आँखों पर लगी बंदिशे हटा कर
बह जाने दे दर्द को अपने, तोड़ कर बाँध सारे सब्र के
निकल जाने दे उस चीख को जो दबी है कब से सीने में तेरे
हो ले बेजार तुझे आज जितना होना है
पर याद रख बस आज की ये रात ही तेरी हमदर्द ,हमराज़ है
तो लेकर अपने दिल के तमस,खोकर अंधेरों में हो ले दूर
इस बेदर्द दुनिया से जितना तुझे होना है.……
क्यूंकि फिर सुबह होते ही, कर सशकत खुद को
पकड़ उजालो का हाथ
कल फिर इस दुनिया की भीड़ में ,तुझे हंस कर शामिल होना है
- सोमाली
सहला ले जख्मो को अपने लेट कर इस खामोश रात की गोद में
भिगोले आंसुओं से अपने ,रात के दामन को जितना भिगोना है
आँखों पर लगी बंदिशे हटा कर
बह जाने दे दर्द को अपने, तोड़ कर बाँध सारे सब्र के
निकल जाने दे उस चीख को जो दबी है कब से सीने में तेरे
हो ले बेजार तुझे आज जितना होना है
पर याद रख बस आज की ये रात ही तेरी हमदर्द ,हमराज़ है
तो लेकर अपने दिल के तमस,खोकर अंधेरों में हो ले दूर
इस बेदर्द दुनिया से जितना तुझे होना है.……
क्यूंकि फिर सुबह होते ही, कर सशकत खुद को
पकड़ उजालो का हाथ
कल फिर इस दुनिया की भीड़ में ,तुझे हंस कर शामिल होना है
- सोमाली