Monday 13 April 2015

ज़िन्दगी और मैं

उसने कहा कैसे अचानक अँधेरी रात ,बदल गयी दिन में
मैंने कहा एक आशा की किरण,  उठी है मेरे ज़हन  में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर  मेरे  हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू  देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह  पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा देखना ऐ ज़िन्दगी,तेरे इम्तिहानों में  तपकर ,
शख्सियत  मेरी और निखर जाएगी ……
                                             …सोमाली                          

3 comments:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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  2. बेह्तरीन अभिव्यक्ति !सुन्दर व सार्थक रचना ,शुभकामनायें
    कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार...

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  3. सुन्दर शब्द रचना












    सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in



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