Monday 26 September 2011

अनचाही सी चाहत

                                                                                                         
दिल में एक अजब सी हलचल है
न जाने कैसा ये एहसास है
तू दूर होकर भी लगता है जैसे पास है
कहना बहुत कुछ चाहा था तुझसे
पर  एहसासों को लफ्जो में न ढाल सकी
तुने मुझे अपनी दुनिया से निकल दिया
पर मैं तुझे दिल से भी न निकाल सकी

तुझे तो नींद आती होगी चैन की
पर मैं इक रात भी चैन की न गुजार  सकी
महीनो बीते,वक़्त चलता रहा
पर मैं आज भी वहीँ खड़ी हूँ
एक लम्हा भी तेरे बिना न गुजार  सकी

तेरे लिए में कोई बीता लम्हा हूँ
या शायद कोई अफसाना
पर मेरे लिए तू वो धुरी है
जहाँ से शुरू होता है मेरी ज़िन्दगी का हर फ़साना

तेरी यादों से सुबह शुरू होती है
तेरी यादों में ही शामें ढल जाती हैं
स्याह काली रातो में भी तेरी यादें
बेसबब मुझको रुलाती हैं

भूल जाउंगी तुम्हे हर रोज़ ये फैसला करती हूँ
न बहेगा अब आंसू का एक कतरा भी अब तेरे लिए
न जाने कितनी बार ये हौसला करती हूँ

हर बार फिर ताश के पत्तो की तरह  बिखर जाती हूँ
फिर तेरी ही यादों की परछाईओं  से घिर जाती हूँ
मौत से हारा  करती है जिंदगी अक्सर
पर में अपनी ही जिंदगी से मात पाती  हूँ




                                                                                                                              

13 comments:

  1. खूबसूरती से उकेरे हैं भाव ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  2. मौत से हारा करती है जिंदगी अक्सर
    पर में अपनी ही जिंदगी से मात पाती हूँ
    bahut sunder :)

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  3. आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति दिल को छूती है.

    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  4. कल 30/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. भूल जाउंगी तुम्हे हर रोज़ ये फैसला करती हूँ
    न बहेगा अब आंसू का एक कतरा भी अब तेरे लिए
    न जाने कितनी बार ये हौसला करती हूँ !!
    bahut sunder abhivyakti ur se zaddojahad ,shayad aisa hi hota hai kisi ko bhulane ki koshish main ..khud ko kho denaa.
    http://neelamkahsaas.blogspot.com/2011/09/blog-post.html

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  8. दिल को छु गई ...

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  9. भूल जाउंगी तुम्हे हर रोज़ ये फैसला करती हूँ
    न बहेगा अब आंसू का एक कतरा भी अब तेरे लिए
    न जाने कितनी बार ये हौसला करती हूँ

    हर बार फिर ताश के पत्तो की तरह बिखर जाती हूँ

    आह ये प्यार !

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  10. तेरे लिए में कोई बीता लम्हा हूँ
    या शायद कोई अफसाना
    पर मेरे लिए तू वो धुरी है
    जहाँ से शुरू होता है मेरी ज़िन्दगी का हर फ़साना
    .......बहुत ही ख़ूबसूरत भाव ,शुभकामनायें !

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  11. सुंदर अभिव्यक्ति ,अच्छे भाव ।

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  12. aap sab ka bahut bahut dhanyavaad

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