Thursday 25 August 2011

कश्मकश रिश्तो की


कैसे रिश्ते कैसे नाते ,कौन यहाँ साथ निभाता है,
तुम कहते हो यह विश्वास है ,मैं कहती हूँ बस एक झूठा नाता है,

आस लगोगे अगर किसी से हाथ निराशा ही आएगी
विश्वास करने की किसी पर तुम्हारी खता कभी न बख्शी जाएगी

तुम प्यार करो विश्वास करो ,या की रिश्तो पर वारे जाओ
रिश्तो की खातिर तुम चाहे खुद की बलि चढाओ

विश्वास तुम्हारा टूटेगा और जिम्मेदार भी तुम्ही ठहराए जाओगे
अनंत सवालो के कटघरे में तुम खुद को खड़ा पाओगे

जवाब तो होंगे मगर फिर भी तुम मौन रह जाओगे
ठेस लगे हुए दिल के जज्बातों को बयां करने को शब्द कहाँ से लाओगे,

प्रत्यारोप तुम लगाओ तो भी दिल तुम्हारा ही दुखेगा
फिर ये आरोप- प्रत्यारोप का दौर न जाने कहाँ रुकेगा

निर्दोष होकर भी तुम उन इल्जामो को स्वीकार लोगे
तुम्हे लगेगा शायद इससे तुम इस बिखेरते रिश्ते को संवार लोगे

अंत तक रिश्तो को बचाने  की कोशिश में तुम झुकते जाओगे
और एक दिन तुम खुद टूट कर बिखर जाओगे

रिश्तो की टूटन का ये दौर बेइन्तेहाँ दर्द दे जायेगा
सब कुछ भूलने पर भी ये दर्द सदा तड्पाएगा

दिल में दर्द और आँखों में नमी लिए दुनिया को झूठी मुस्कान दिखाओगे
विश्वास पर भी अविश्वास करोगे कभी किसी को दिल का दर्द न दिखा पाओगे

ये रिश्ते- नाते कुछ नहीं बस मतलब का मेल हैं ,
विश्वास जज्बात ये सब बस खेल हैं

इस खेल में सदा सबने मात ही पायी है
मनो न मनो बस यही रिश्तो की सच्चाई है

जितनी जल्दी सीखोगे नियम इस खेल के उतनी जल्दी संभल जाओगे,
वरना रिश्तों के फेर में उलझ कर रह जाओगे,

जज्बाती इंसान हमेशा इस खेल में हार जाता है,
कल मेरी ही तरेह तुम भी कहोगे की बस एक झूठा नाता है


                    -सोमाली   
  







 

8 comments:

  1. विश्वास तुम्हारा टूटेगा और जिम्मेदार भी तुम्ही ठहराए जाओगे
    अनंत सवालो के कटघरे में तुम खुद को खड़ा पाओगे

    जवाब तो होंगे मगर फिर भी तुम मौन रह जाओगे
    ठेस लगे हुए दिल के जज्बातों को बयां करने को शब्द कहाँ से लाओगे,


    आपकी यह रचना ऐसी लग रही है जैसे मेरे मन के ही भावों को पढ़ आपने रच दिया है ..बहुत सार्थक ..

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  2. खूबसूरत भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी,सोमाली जी.

    उपकार फिल्म का एक गाना याद आता है
    'कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें है बातों का क्या
    कोई किसी का नहीं यहाँ पर नाते हैं नातों का क्या'

    आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रस्तुत
    कर अनुग्रहित कीजियेगा मुझे.

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  3. pyar,jazbaat ,man ki peera ka sunder chitrah kiya hai.................

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना.

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  5. सोमाली जी बहुत सही अनुभव जनित रचना है यह आपकी ।
    जज्बाती इंसान हमेशा इस खेल में हार जाता है,
    कल मेरी ही तरेह तुम भी कहोगे की बस एक झूठा नाता है
    .ही सच है आज का ही नही सदा का ।
    आप मेरे ब्लॉग पर आईं बहुत आभार ।

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  6. Lovely poem Somali... gud to read u.. hamare naama aur hamare blogs k naam bhi rhyming se hain aur shayad hamari kavitayo k bhav bhi.. to tumhari agli kavita ka intzaar arhega.. keep writing :)

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  7. aap sab ka bahut bahut abhar

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  8. @ monali,thnk u very much n u r right hamare name or blogs ke name rhyming hain aur kavita ke bhav v par aap bahut accha likhti hai...i'm also waiting for ur new poem .... n thnx once again

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