जन्म देकर मुझे ,मेरा जीवन संवारा
सींच कर अपने संस्कारो से मेरा अस्तित्व निखाराजब भी गिरने को हुई ,तूने ही संभाला देकर सहारा
जब भी कठिन हालातो की कड़ी धूप में मैं हार कर बैठी ,
तुने ही अपने आँचल का साया कर फिर से हौंसला दिलाया,
जब भी घिरी मैं दुःख के अंधेरों में,तेरे प्यार की रौशनी ने ही रास्ता दिखाया ,
जब जब रोई मैं ,तेरे आँचल को भी मैंने नम पाया ,
तूने ही तो निश्चल ,निस्वार्थ प्यार करना सिखाया ,
अब तुझसे दूर हूँ ,पर हर दुःख में तू ही याद आती है ,
सो जाती हूँ जब तुझे याद करते करते ,
तब सपनो में आकर प्यार से मेरे बालों को सहलाती है ,
आज मैं जो हूँ तुने ही तो बनाया है
दूर हूँ तुझसे पर फिर भी तेरा आशीष मेरा हमसाया है
जब भी घिरती हूँ दुविधा से,तेरी सीख आज भी मुझे रहा दिखाती है ,
माँ कभी कहा नहीं तुझसे ,पर सच तेरी बहुत याद आती है........
-सोमाली