1.
न मुझे अब कुछ कहना है,न ही कुछ पूछना है
तुम मेरे सवालों से वाकिफ हो ,और मैं तुम्हारे जवाबों से
मगर फिर भी क्यूँ ये सिलसिला टूटता नहीं
हर बार तुझसे मुखातिब हो जाती हूँ फिर वही सवाल लिए....
2.
क्या ढूंढ ने की कोशिश कर रहे हो इन आँखों में झांक कर ,
वो सपने जो कभी तुम्हारे साथ देखे थे ,
या वो चमक जो तुम्हे देखते ही झिलमिलाने लगती थी इन आँखों में.......
बेकार न वक़्त जाया करो,कुछ भी नहीं मिलेगा,
वो सब आंसुओं में बह गया,
अब तो बस उदासी और सूनापन बसते हैं इन निगाहों में.......
3.
मत देखो मुझे इतने अचरज से,हाँ सच है मैं बदल गयी हूँ
चहकती -खुशमिजाज थी कभी ,अब मैं तन्हाई ओर आक्रोश में ढल गयी हूँ
तुम क्यूँ इतने हैरान हो देखकर मुझे बदला हुआ?
तुमने ही तो चाहा था की मैं बदल जाऊं ,तो देखो मैं बदल गयी हूँ.......
4..
अब कोई भी भावना मुझे स्पर्श नहीं करती ,
अब तेरे किसी भी दर्द से मैं विचलित नहीं होती,
अब नहीं भिगोते तेरे अश्क मेरे मनं को ,
अब तेरी हँसी से मेरी आत्मा आह्लादित नहीं होती ,
अब जब मैं पत्थर बन चुकी, तो क्यूँ तेरी आँखें,
निहारती हैं मुझे इस उम्मीद के साथ की मैं पिघल जाऊँगी,
तुम्ही तो कहा करते थे, इतनी भावुकता अच्छी नहीं होती...........
-सोमाली