जानती हूँ में ये भावनाएं,ये प्यार तेरे लिए कुछ भी नहीं
फिर भी हर बार तेरे सामने मन खोलकर रख देती हूँ
तू हर बार यूँ ही हँसी में टाल कर चल देता हैं अपने रास्ते
और मजाक बन कर रह जाती हैं सारी भावनाएं,उमीदें और सपने
टूट कर बिखर जाता है मनं के अन्दर कुछ अनगिनत टुकडो में
और मैं आँखों में आंसू लिए समेटने लगती हूँ इन टुकडो को
इस उम्मीद के सहारे की एक दिन तो आएगा
जब तुझे इन टुकडो में मेरी टूटन का भी दर्द नजर आएगा
और तू अपने हाथों से जोड़कर इन टुकडो को
भर देगा अपने बेइन्तेहाँ प्यार से एक -एक दरार को.......
-सोमाली
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