ये रात जो आई है, साथ अपने एक अजब सा एहसास लायी है
एक ख़याल बार बार दिल से टकराकर,धड़कने बड़ा रहा है,
क्यूँ है दिल मेरा इतना बेचैन ,क्यूँ खो रही हूँ मैं अनजाने ख्यालों में
न जाने किस की तलाश है, ढूंढ़ रही हूँ शायद अपना कोई इन अंजानो मैं,
पल पल गहराती इस रात में हर पल की ये बेचैनी,गहराता ये सन्नाटा और आरज़ू ये अनजानी
न जाने क्यूँ हो गयी इतनी बेबस और मजबूर की आंसुओं की ये बूँदें भी आँखों के दाएरे तोड़ आई है
आज की इस रात में न जाने कैसी ये तन्हाई है,जैसे रूठी मुझसे मेरी ही परछाई है,
ये रात जो आई, है साथ अपने एक अजब सा एहसास लायी है
एकाकीपन के भावों को प्रकट करती सुंदर रचना.
ReplyDeleteतन्हाई का गीत...
ReplyDeleteसुन्दर..
सादर बधाई...
bahut sundar ahsaas
ReplyDeletesundar rachna....
ReplyDeletesunder abhivaykti...
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut dhanyavaad.......aage bhi aap sabhi ke aashirwaad or margdarshan ki kamna karti hu
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