कितना मुश्किल होता है,
अपनों के लिए अजनबी बन जाना......,
उनकी तकलीफ देखकर भी,
परायों की तरह मुँह मोड़ जाना,
अपनी बेरुखी से दिल में उठी कसक को दबाना,
मुँह फेरकर अपने आंसू छुपाना,
उन्हें देखकर हुई ख़ुशी या उनकी तकलीफ से,
चेहरे पे आई शिकन छुपाकर,
हमें फ़िक्र नहीं उनकी ये जाताना,
दिल में हिलोरे मारते प्यार के तूफ़ान को दबाकर,
झूठी नफरत दिखाना,
झूठी नफरत दिखाना,
पर हालात मजबूर कर देते हैं इतना,
की जरुरी हो जाता है अपनों की खुशियों के खातिर ही,
अपनों के लिए अजनबी बन जाना........
अपनों के लिए अजनबी बन जाना........
-सोमाली
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ReplyDeleteजब भी घिरती हूँ दुविधा से,तेरी सीख आज भी मुझे रहा दिखाती है ,
माँ कभी कहा नहीं तुझसे ,पर सच तेरी बहुत याद आती है........
Wonderful creation !
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शायद दोनों पक्षों के लिये यह सब बहुत भारी होता होगा। संवेदनशील पोस्ट। शुभकामनायें।
ReplyDeleteजन्म देकर मुझे ,मेरा जीवन संवारा
ReplyDeleteसींच कर अपने संस्कारो से मेरा अस्तित्व निखारा
जब भी गिरने को हुई ,तूने ही संभाला देकर सहारा
जब भी कठिन हालातो की कड़ी धूप में मैं हार कर बैठी ,
तुने ही अपने आँचल का साया कर फिर से हौंसला दिलाया,maa aisi hi hoti hai
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ReplyDelete@sanjay sir thanx sir
ReplyDelete@zeal mam- thank u mam
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .