Sunday, 28 January 2024

A wish from heart

 

Sometime somewhere in life
May I will meet you
And we'll sit together
With each other
For hours ...& hours
Sharing Our sorrows and joys
We will spoke to the hearts
And listen the silences of
Unspoken words...
Wish..we May some day
Really come together

                               Somali


तुम मेरे लिए खुदा हो

 तुम्हारी खूबियों से ही नहीं

कमियों से भी मोहब्बत है हमको 

ये तुमको तुम जो बनाती हैं 

गर ये ना होतीं  तो तुम खुदा हो जाते 

फिर तो दुनिया तुम्हारी इबादत करती 

सब तुमको अपना बताते 

बताओ फिर कहाँ तुम सिर्फ मेरे रह पाते


खूबियां तो तुम्हारी सबको भाती हैं 

ये कमियां ही हैं जो तुम्हें मेरा बनाती हैं

मैंने तो चाहा है तुम्हारी पूरी शख्शियत को

अब चाहे तुम लाख कहो की तुम तबाह हो

पर जो भी हो मेरे लिए तुम खुदा हो।

 

                               -सोमाली


Tuesday, 8 August 2023

चाहत अनचाही सी

 तुम्ही बताओ अब क्या करूँ मैं?

तुम्हे चाहना कभी मेरी चाहत नही थी

लेकिन अब तुमको भूल जाना भी हसरत नही है।


 तुम्हारे लिए तो मैं कुछ खास नहीं

पर तुम दुनिया बन गए हो मेरी

तुमको तो इसका भी एहसास नहीं है। 


तेरे दो लफ्ज़ भी बेइंतहां खुशी हैं

मेरी इस खामोश सी ज़िन्दगी में

हर पल गुज़रता है बस तेरी बंदगी मे


तुम मेरे न हो गर तो भी गिला नहीं होगा

तुम साथ रहो यही है बहुत  मेरे लिए

तुमसा साथी भी तो सबको मिला नहीं होगा।


मोहब्बतों की मंज़िल हमेशा पाना ही नहीं है

अगर सफर ही खूबसूरत हो इतना 

तो मंज़िल तक मुझे जाना ही नही है।

                    

 तुम नहीं तुम्हारी खुशी ही मेरा सबब है

सदा मुस्कराती रहे ज़िन्दगी तुम्हारी

बस यही मेरी ज़िंदगी का मकसद है 


तुम मुझे चाहो ही ये इल्तज़ा नहीं है

पर भूल जाओ मुझे किसी अजनबी की तरह

इसमें भी तो मेरी रज़ा नहीं है।


चलो फिर यूँ करते हैं,

हम तुमको युहीं चाहते रहें 

तुम अपनी ख्वाहिशों में खुश रहो 

 और हम युहीं बेमतलब साथ निभाते रहें।

                                 -सोमाली


Sunday, 30 October 2022

ज़ुबाँ मोहब्बत की

 जो तुम सुनना चाहते हो 

हम भी कहना वही चाहते हैं 

बस फ़र्क़ इतना सा है तुम्हारी और 

हमारी  चाहत में की 

तुम इज़हारे बयां चाहते हो और 

हम नज़रो की ज़ुबान चाहते हैं 


खेल तो मोहब्बत में युहीं चलते हैं 

कभी तुम जीत जाते हो तो 

कभी हम हार जाते हैं


सीख जाओ गर हुनर तुम समझने का 

खामोशियों को तो जान जाओगे

लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं ये मोहब्बत

एक बार  देख लो जो नज़र भरकर 

सारे मायने दिल में गहरे उतर जाते हैं ।


                                   -सोमाली

Tuesday, 6 September 2022

बदलते रिश्ते

 एक अफसाना ओर ज़िन्दगी का पूरा हुआ

लग रहा फिर कोई अपना छूट 

प्यार से सींचे हुए पल्लवित रिश्ते को

एक अनजान भंवरा लूट गया


अजीब सी रवायत है  इस माशरे की

पुराने रिश्तों की कब्र पर 

खिलते हैं गुल नए रिश्तों के 

रूठ जाती हैं बहारें भी इस दर से

और तितलियाँ भी बेवफा हो जाती हैं


बंजर रह जाती है दिल की ज़मीं 

किसी तिनके की आस में 

पता नही कब फिर हवा का रुख बदले 

और लेहला उठे हरियाली  फूट कर 

इन तिनको से


पर क्या पता ये इंतेज़ार कभी पूरा ही न हो

हर जमीन के नसीब में हरियाली कहां होती है

कुछ जमीने होती है शापित बन जाने को 

सेहरा सदा के लिए।

                                   -सोमाली

   

Wednesday, 27 May 2020


कुछ नही करना अक्सर 
कुछ करने से आसान होता है

हाँ पर मुश्किल होता है कुछ न करते हुए भी
ये दिखाना की कुछ किया गया है

लाखो की तादात में सड़कों पर रेंगते
कुछ इंसानी डील डॉल वाली आकृतियों को
नकारना शायद बहुत ही  आसान होता है
या  शायद मुश्किल को आसान बना लिया जाता है

राह भटकती  रेलें शायद युहीं भटक जाती है आसानी से
या शायद बड़ी मुश्किलों से  भटकाई जाती है
आसान बनाने को कुछ गैरजरूरी भीड़ बढ़ाते
प्राणियों के मुश्किल अवसान को

चिरनिंद्रा में सोई माँ को जगाते बच्चे का दृश्य
मुश्किल है उतारना निगाहों से
पर शायद  आसान होता होगा इस तरह के दृश्य
आम हो जाने देना

बहुत मुश्किल रहा होगा बीमार  बाप को लेकर
एक बेटी का कई सौ किलोमीटर का सफर
पर बहुत आसान रहा उसकी मजबूरी को
उपलब्धि का जामा पहनना

बहुत आसान रहा होगा मजदूरों के कटकर मरने पर
सवाल उठाना और गलती बताना पर
बहुत मुश्किल रहा होगा उन मजदूरों का
 उस ट्रैक तक आना

बहुत मुश्किल रहा होगा एक प्रसूता का
नवजात के साथ 150 किलोमीटर चलना या
छाले पढ़ते पैरों के बावजूद न रुक पाना
चप्पल टूटने पर बोतल की चप्पल बनाना
बहुत मुश्किल रहा होगा
भूखे बच्चे को सूटकेस पर सुलाकर चलते जाना या
अपने घर के पास पहुंचकर प्राण गवां देना

पर बहुत आसान है इनको सिर्फ घटनाएं समझना


औऱ न जाने क्या क्या मुश्किल रहा होगा
औऱ न जाने क्या क्या आगे मुश्किल होगा

पर आसान रहेगा सत्ताधीश के लिए सत्ता बनाये रखना
आसान रहेगा स्वर्णिम भारत का सपना देखते रहना
आसान रहेगा लाशों ढेर पर बैठके अपनी पीठ थपथपाना
आसान रहेगा ये बताना की देश  में सब चंगा है
और ये जो रेंगते बेबस आकृतियों के समाचारहैं
ये तो बस पोलिटिकल फंडा हैं
                   
                                       - सोमाली

Sunday, 29 March 2020

अनजाने से जज़्बात

अर्थ नहीं जानती पर
कैसे कहूँ की प्रेम नहीं है

जज़्बातों के सैलाब में डूबती उतराती
हर जज़्बात के आगे बेबस हूँ
विमुख हो जाती हूँ सच से अक्सर
तेरे एहसासों से घबराकर

रूबरू होकर खुद से रोज़
न जाने कैसे खुद से हार जाती हूँ

आगे मुकम्मल जहां है मेरे पर 
मैन चंचल बीते वक़्त को जाता है

नफरत नहीं तो मोहब्बत भी नहीं है
अजीब सी कश्मकश है अधूरे रिश्ते की

साथ कि ख्वाहिश भी है और 
दूरियों की दरकार भी

अधूरेपन में पूर्णता की जुस्तजू है 
और एक बेमतलब सी आस भी

मैं रहूँगी मैं, तुम,तुम ही, मिल कर हम न होंगे
अधूरी सी कहानी का मैं सार लिए बैठी हूँ

अर्थ नहीं जानती इस सबका पर
कैसे कहूँ की प्रेम नहीं है।
        
                    -सोमाली

Friday, 28 June 2019


भले ख्याल बेड़ियों में जकड़े हो तुम्हारे
और बोलने पर लगे हों ताले
चाहे लहू नारंगी -हरा हो चला हो
जीवन अफवाहों की भेंट चढ़ जाए
मासूमों को साँसों की कमी पड़ जाए
पर स्वतंत्रता के गान फिर भी तुम गाते रहना


भले बेटियों के लिए देश शमशान हो
हर पल जीवन का जब समर समान हो
क्या कन्या क्या नारी,बस देह हो सारी
बिकती रहे,जलती रहे ,मरती रहे ,लुटती रहे
रिवाज़ों की ओट में सारे कुकर्म महान हो
पर यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते की रट लगाते रहना



भले भूख गरीबी बेरोज़गारी हो
भटका युवा दंगो का व्यापारी हो
औचित्यपूर्ण सवालों पर धर्म भारी हो
सवाल उठाना घोर गद्दारी हो
जी हुजूरी सफलता का आश्वासन
ईमानदारी तो बेबसी लाचारी हो
पर मेरा देश महान तुम गुनगुनाते रहना



भले इतिहास बदला जाता रहे 
या संविधान धूल खाता रहे
गायों पर इंसान का जीवन ज़ाया हो
शिक्षा कर्मकांड की बलि चढे
किसान लोटता रहे सड़को पर
संस्थानों पर पहरेदारी बढ़े
सती के सम्मान को सबकी बाहें चढ़े
पर स्त्री के अपमान पर लहू में उबाल भी न पड़े
भले विकास की यात्रा पीछे की ओर चले
पर विश्व गुरु के ख्वाब तुम सजाते रहना



पर देखना गलती से भी
सरोकार से सरोकार न हो
मानवता की कहीं बात न हो
विज्ञान की कोई बिसात न हो
मोहब्बतों की बरसात न हो
कहीं कमजोर न हो जाए नींव नफरतों की
इसलिए सम्पूर्ण भक्तिभाव से
राष्ट्रवाद का तानपुरा बजाते रहना
मेरा भारत महान गर्व से गाते रहना


                                     
                                       -सोमाली

Monday, 13 April 2015

ज़िन्दगी और मैं

उसने कहा कैसे अचानक अँधेरी रात ,बदल गयी दिन में
मैंने कहा एक आशा की किरण,  उठी है मेरे ज़हन  में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर  मेरे  हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू  देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह  पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा देखना ऐ ज़िन्दगी,तेरे इम्तिहानों में  तपकर ,
शख्सियत  मेरी और निखर जाएगी ……
                                             …सोमाली                          

Wednesday, 26 November 2014

"क्यों साथ की आस करता है "


चल अकेला ही तू 
क्यों किसी के साथ की राह तकता है,
ये दुनिया मतलब की है,
हर कोई बस जरुरत  तक ही साथ चलता है ,
हर मोड़ पर यहाँ नए हमसफ़र मिलेंगे,
हमदर्द न बना किसी को यहाँ ,
के दर्द बहुत होगा जब वो रास्ते  बदलता है ,
मत बैठ तू किसी रिश्ते की आस में 
कट  जाती है जिंदगी युही 
एक अदद साथ की तलाश में,
जाने दे जो छोड़ते हैं बीच राह में साथ तेरा 
एहमियत  जब समझी नहीं किसी ने 
फिर  तू  क्यों रिश्तों की दुहाई देकर मचलता है  
कर पत्थर खुद को तू  की 
तूफानों में भी डिगे नहीं  …
चकनाचूर हो जायेगा 
क्यों दिल शीशे का लेकर चलता है,
 बहुत लम्बा है   सफर अभी 
कांटे भी चुभेंगे,सेहरे  भी आएंगे 
कई रास्तों पर पग तेरे फिसल भी जायेंगे 
पर फिर ज़िन्दगी बटोर कर उठ खड़ा होना 
जितनी बार तू फिसलता है ,
चलता चल युहीं तू अपनी राहों पर 
मिल ही जाएगी मंजिल तेरी 
जो तेरी जिंदगी की सफलता है ,
फिर देखना खड़े होकर वहां तू 
कभी किया ही नही मोल तेरा जिन्होंने 
कैसे  उनका  का रुख तेरे लिए बदलता   है  
क्यूंकि है हर जज्बात झूठ यहाँ 
बस सफलता का ही सिक्का चलता है   ....... 


                                                   … सोमाली