कितना मुश्किल होता है,
अपनों के लिए अजनबी बन जाना......,
उनकी तकलीफ देखकर भी,
परायों की तरह मुँह मोड़ जाना,
अपनी बेरुखी से दिल में उठी कसक को दबाना,
मुँह फेरकर अपने आंसू छुपाना,
उन्हें देखकर हुई ख़ुशी या उनकी तकलीफ से,
चेहरे पे आई शिकन छुपाकर,
हमें फ़िक्र नहीं उनकी ये जाताना,
दिल में हिलोरे मारते प्यार के तूफ़ान को दबाकर,
झूठी नफरत दिखाना,
झूठी नफरत दिखाना,
पर हालात मजबूर कर देते हैं इतना,
की जरुरी हो जाता है अपनों की खुशियों के खातिर ही,
अपनों के लिए अजनबी बन जाना........
अपनों के लिए अजनबी बन जाना........
-सोमाली