रास्ते बदलते बदलते मैंने मंजिल भी अपनी खो दी
अब याद बहुत वो छूटा हुआ सफ़र आता है
कभी करके देखो वफ़ा तुम बेवफाई के बदले
फिर देखो इश्क में लुटने का मजा किस कदर आता है
क्यूँ है हैवानियत सवार इसके सर पे
की शक्ल से तो ये भी इंसान नजर आता है
शायद सीख जाये दिल तोड़ने का हुनर हम भी तेरे साथ रहकर
संगत का कुछ न कुछ तो जरुर असर आता है
-सोमाली
कभी करके देखो वफ़ा तुम बेवफाई के बदले
ReplyDeleteफिर देखो इश्क में लुटने का मजा किस कदर आता है
बहुत खूबसूरत बात कही है ... मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
यहाँ भी दस्तक दें
http://geet7553.blogspot.com/
रास्ते बदलते बदलते मैंने मंजिल भी अपनी खो दी
ReplyDeleteअब याद बहुत वो छूटा हुआ सफ़र आता है
कभी करके देखो वफ़ा तुम बेवफाई के बदले
फिर देखो इश्क में लुटने का मजा किस कदर आता है
Somali ji bahut umda likah hai aapne, bhavpurn rachna ke liye aapko badhai ........
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteऐसे ही लिखते रहिए।
सादर
कभी तो पूरी होगी ये दास्ताँ, हम मुतमईन हैं..........
ReplyDeleteमुतमईन हैं ये ही बहुत बड़ी बात है.
my fav.. ab tak ki bahut hi accha likha hai....aur v khub accha likhna,,..
ReplyDeleteNice and well-written!
ReplyDeletebeautiful and touching creation excellent.....Somali ji
ReplyDeleteबहुत देर से आपकी नज्मो को पढ़ रहा हूँ ,. क्या कहूँ कुछ नज्मे तो दिल में उतर गयी हिया ,, आपके शब्दों के चुनाव को क्या कहना .. दिल से बधाई स्वीकार कीजिये ..
ReplyDeleteआभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html