फिर हँस दी मैं और दिल रोया,
जब कहा किसी नेआज की तुम क्या जानो दर्द प्यार का....
बरसने को बेसब्र आँखें झुका कर चली आई मैं
दिल में फिर तेरा ख़याल लिए ....
फिर जग उठी वो कसक
जो शिद्दत से दबा रखी थी दिल के किसी कोने में
फिर उठ हुआ खड़ा मेरा कल, न जाने कितने सवाल लिए.....
क्या कहू तुझे अपना कल या आज ?
ये भी तो इक सवाल ही है ....
है तो कल तू, पर शामिल उतना ही
मेरे आज में भी है....
या कहू की आज और कल के बीच कोई लकीर ही नहीं..
बस कुछ बदला है, तो रिश्ते का रूप
वो भी सिर्फ मेरे लिए
तेरे लिए तो कुछ बदला ही नहीं....
आज भी याद है मुझे,तेरी कही हर बात
वो अपने दुःख- दर्द बाँटना...
कभी यूहीं कुछ बातों पर हँसना
यूहीं बातो -बातों में बीती हर रात...
आज भी जेहन गहरे बसी हैं , तेरी सारी यादें...
पर तुझे शायद ही याद हो ,मेरी कोई बात ....
वो तेरा इजहारे प्यार.....
और फिर प्यार से खुद तेरा इनकार ..
इस सच के बाद शायद मैं ही मैं नहीं रही थी....
पर फिर भी याद है मुझे..
तेरी हर वो दलील जो तूने दी थी....
ये साबित करने को,की साथ छोड़ रहे हो
मगर फिर भी हमेशा साथ रहोगे......
जब टूट चुकी थी मैं ,फिर तुमने कहा था
चंद महीने ही तो थे,क्या फर्क पड़ता है....
पर वो तुम्हारे लिए शायद चंद महीने थे
लेकिन मेरे लिए पूरा जीवन......
काश तुम समझ पाते....
पर तुम्हे ही क्यूँ दोष दूँ सारा,
दोषी में भी तो कम नहीं थी....
में ही थी जो थोड़े वक़्त में तुम्हारे प्यार में आकंठ डूब गयी थी...
प्रेम मैंने तुझसे अटूट किया था,ये दोष तेरा न था
इसीलिए दे आजादी तुझे,सोचा था भूल जाउंगी ....
पर आज भी तुम शमिल हो मेरी जिंदगी में
मगर कुछ इस तरह की
अब विश्वास नहीं होता तेरी किसी बात पर
नफरत करना चाहती हूँ,पर कर नहीं पाती...
रिश्ता आज भी अनाम सा है तेरे- मेरे बीच
और में भी न जाने क्यूँ ये रिश्ता निभाए चली जा रही हूँ
क्या बताऊँ किसी को .....
जब में खुद नहीं जानती
मैंने क्या खोया और क्या पाया
न जाने कितनी बार हिसाब लगाने की कोशिश की
पर जवाब कुछ न आया.......
बस दबा कर दिल के अन्दर गम को...
हँस कर जीना सीख लिया...
अब कोई कहता भी है की
तुम क्या जानो दर्द प्यार का .....
दिल के अन्दर फिर कुछ टूट जाता है.....
फिर कसक सी उठती है....
और में हँस कर कहती हूँ
सच कहते हो मैंने कभी प्यार जो नहीं किया....
-सोमाली