...... कुछ अनकहे से जज्बात.
1. बस लफ्जों की तलाश
है मुझको,
वरना चेहरा जज्बातों का तो कबका दिल में बना लिया
काश मिल जाये कुछ अलफ़ाज़ उसमे से,
बयां करने को दिल-ए- हालात मेरे,
पुलिंदा जो शब्दों का दिल में बना लिया.....
2. भर देता है जो जख्म वक़्त,क्यूँ फिर खुद ही वो जख्म कुरेदता है
क्यूँ पुरानी यादों के धागों को उधेड़ता है,
गर जीता इक दिन भी, वक़्त ये ज़िन्दगी हमारी
तो जानता की कैसे इंसान, हर लम्हे में अपनी मौत भी सहेजता है ..
वरना चेहरा जज्बातों का तो कबका दिल में बना लिया
काश मिल जाये कुछ अलफ़ाज़ उसमे से,
बयां करने को दिल-ए- हालात मेरे,
पुलिंदा जो शब्दों का दिल में बना लिया.....
2. भर देता है जो जख्म वक़्त,क्यूँ फिर खुद ही वो जख्म कुरेदता है
क्यूँ पुरानी यादों के धागों को उधेड़ता है,
गर जीता इक दिन भी, वक़्त ये ज़िन्दगी हमारी
तो जानता की कैसे इंसान, हर लम्हे में अपनी मौत भी सहेजता है ..
3. टूटे सपनो
के शीशे जब
चुभने लगे आँखों
में
तो दर्द आंसुओं में ढल गया ,
एक कतरा , बन चिंगारी यूँ गिरा ,
मेरे अरमानो के आशियाने पर की ,
तिनका-तिनका मेरे आशियाने का जल गया ........... .
तो दर्द आंसुओं में ढल गया ,
एक कतरा , बन चिंगारी यूँ गिरा ,
मेरे अरमानो के आशियाने पर की ,
तिनका-तिनका मेरे आशियाने का जल गया ........... .
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4. अधर तो कांपे थे पर, अलफ़ाज़ न बहार आ सके,
दिल की बात हम जुबां पर न ला सके ,
जख्म कितने गहरे हैं ,ये तुमको न दिखा सके,
बेबसी का आलम हमारी ये देखिये
की बेंतेहान दर्द में भी हम आंसू न बहा सके
-सोमाली
बहुत खूब
ReplyDeleteआपकी यह कविता प्रेम की उद्दात भावनाओं को प्रकट करती है।
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