उसने कहा कैसे अचानक अँधेरी रात ,बदल गयी दिन में
मैंने कहा एक आशा की किरण, उठी है मेरे ज़हन में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर मेरे हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा एक आशा की किरण, उठी है मेरे ज़हन में ,
उसने कहा,कैसे इन बाधाओं को पार करेगी
मैंने कहा,एक दिन खुद तकदीर मेरे हौंसलों के आगे झुकेगी
उसने कहा ज़िद न कर, आखिर कब तक तू युहीं लड़ेगी
मैंने कहा तू देखना एक दिन ये दुनिया मेरी दास्ता -ए - फ़तेह पढ़ेगी
उसने कहा इतना गुमान मत कर, टूट कर बिखर जाएगी
मैंने कहा देखना ऐ ज़िन्दगी,तेरे इम्तिहानों में तपकर ,
शख्सियत मेरी और निखर जाएगी ……
…सोमाली
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
बेह्तरीन अभिव्यक्ति !सुन्दर व सार्थक रचना ,शुभकामनायें
ReplyDeleteकुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार...
सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
http://savanxxx.blogspot.in