चल अकेला ही तू
क्यों किसी के साथ की राह तकता है,
ये दुनिया मतलब की है,
हर कोई बस जरुरत तक ही साथ चलता है ,
हर मोड़ पर यहाँ नए हमसफ़र मिलेंगे,
हमदर्द न बना किसी को यहाँ ,
के दर्द बहुत होगा जब वो रास्ते बदलता है ,
मत बैठ तू किसी रिश्ते की आस में
कट जाती है जिंदगी युही
एक अदद साथ की तलाश में,
जाने दे जो छोड़ते हैं बीच राह में साथ तेरा
एहमियत जब समझी नहीं किसी ने
फिर तू क्यों रिश्तों की दुहाई देकर मचलता है
कर पत्थर खुद को तू की
तूफानों में भी डिगे नहीं …
चकनाचूर हो जायेगा
क्यों दिल शीशे का लेकर चलता है,
बहुत लम्बा है सफर अभी
कांटे भी चुभेंगे,सेहरे भी आएंगे
कई रास्तों पर पग तेरे फिसल भी जायेंगे
पर फिर ज़िन्दगी बटोर कर उठ खड़ा होना
जितनी बार तू फिसलता है ,
चलता चल युहीं तू अपनी राहों पर
मिल ही जाएगी मंजिल तेरी
जो तेरी जिंदगी की सफलता है ,
फिर देखना खड़े होकर वहां तू
कभी किया ही नही मोल तेरा जिन्होंने
कैसे उनका का रुख तेरे लिए बदलता है
क्यूंकि है हर जज्बात झूठ यहाँ
बस सफलता का ही सिक्का चलता है .......
… सोमाली