1. पलकों में तेरी यादों के साए अब भी बाकी हैं,
साँसों में खुशबू तेरे संग बिताये लम्हों की अब भी बाकी है ,
कानो में वो सुगबुगाहट सी अब भी बाकी है,
जेहन में तेरे कदमो की वो आहट सी अब भी बाकि है,
यूँ तो कर चुकी मैं टुकड़े- टुकड़े मुझमे समाये तेरे हर एहसास को ,
फिर भी मुझमे कुछ तेरा सा अब भी कहीं बाकी है
कानो में वो सुगबुगाहट सी अब भी बाकी है,
जेहन में तेरे कदमो की वो आहट सी अब भी बाकि है,
यूँ तो कर चुकी मैं टुकड़े- टुकड़े मुझमे समाये तेरे हर एहसास को ,
फिर भी मुझमे कुछ तेरा सा अब भी कहीं बाकी है
2. सब कुछ भूल गयी, फिर भी कुछ याद है
आज भी मेरी हर बात में, तेरी ही बात है
हर चीज़ तुझसे जुडी हुई मिटा दी
पर खुद को न मिटा सकी
ये मजबूरी है मेरी और बदकिस्मती तेरी
की जब तक जिन्दा हूँ तेरी यादें भी साथ है
आज भी मेरी हर बात में, तेरी ही बात है
हर चीज़ तुझसे जुडी हुई मिटा दी
पर खुद को न मिटा सकी
ये मजबूरी है मेरी और बदकिस्मती तेरी
की जब तक जिन्दा हूँ तेरी यादें भी साथ है
3. ढूंढ रही हूँ मैं ,की इन रास्तो में कोई तो रास्ता मिले
जहाँ तेरी यादो के साए न हो, मेरे साथ बस मेरी तन्हाई चले
हाथ थामे मेरा ये खामोश शाम, बस यूहीं चलती रहे बिना ढले
एक रात समेट्ले जहाँ मुझे, यूँ अपने आगोश में की
मेरे मन का अंधकार, उसके अँधेरे से मिलता सा लगे गले
एक राह.... जहाँ मेरे जज्बात और बेरंग सी जिंदगी को पनाह मिले
जहाँ तेरी यादो के साए न हो, मेरे साथ बस मेरी तन्हाई चले
हाथ थामे मेरा ये खामोश शाम, बस यूहीं चलती रहे बिना ढले
एक रात समेट्ले जहाँ मुझे, यूँ अपने आगोश में की
मेरे मन का अंधकार, उसके अँधेरे से मिलता सा लगे गले
एक राह.... जहाँ मेरे जज्बात और बेरंग सी जिंदगी को पनाह मिले
4. सोचा था की इतनी नफरत करुँगी तुझसे, की जेहन से तेरा नामो - निशा मिटा दूंगी
पर जानती नहीं थी की, नफरत करने के लिए भी तुझे याद करना पड़ेगा
जितनी नफरत मैं करती गयी ,उतनी ही यादें बढती गयी
और नफरत के साये में फिर तुझसे मोहब्बत बढती गयी .......
अब तुझसे नफरत करती हूँ या मोहब्बत, मैं भी नहीं जानती
जानती हूँ तो सिर्फ इतना की, तुझसे अगर नफरत भी करुँगी,तो भी सिर्फ मोहब्बत ही करुँगी ....
पर जानती नहीं थी की, नफरत करने के लिए भी तुझे याद करना पड़ेगा
जितनी नफरत मैं करती गयी ,उतनी ही यादें बढती गयी
और नफरत के साये में फिर तुझसे मोहब्बत बढती गयी .......
अब तुझसे नफरत करती हूँ या मोहब्बत, मैं भी नहीं जानती
जानती हूँ तो सिर्फ इतना की, तुझसे अगर नफरत भी करुँगी,तो भी सिर्फ मोहब्बत ही करुँगी ....
-सोमाली